Wednesday, May 5, 2010


<<< मेरी परिभाषा >>>
सवालों के भंवर में
सितारों के शहर में
थोड़ी थी हकीक़त मेरी और थोड़ी जिज्ञासा
किस पहलु का सरताज मै जाने क्या है मेरी परिभाषा.

अंको कि शब्दावली
या शब्दों कि अंकावाली
मस्तक पे अंकित कुछ पन्त
या है अंकित मेरी छवि.

मै कौन हूँ , क्या हूँ
महत्वता शायद है भी और न भी
दाँव में अस्तित्व मगर
महफूज़ दिल है और जान भी.

स्पष्ट से शीशों में
या बहरूपियों के भेषों में
कहाँ मिलूँ मै खुद से खुद में
प्रेम कलश या कृत क्लेशों में

जाने कहाँ मिल जाए मुझको
मेरे रूह कि भाषा
हर जर्रे से पूछ रहा हूँ
आज मै अपनी परिभाषा .

Friday, April 23, 2010

शौर्य

है शौर्य अगर तो आवाज़ उठा
अपने पुरुषार्थ की औकात दिखा
गर्म लहू कि जात देख
साम , दाम से दंड भेद

है शौर्य अगर तो ये बात बता
जग के जगलालों से अधीर क्यों हो
मात्रिभूमि गिरवी हो रही तेरी
तुम ये कहो तुम वीर क्यों हो

हर नगमे फीके लगेंगे
जब आह किसी कि सुन पाओ
हर प्रकाश की अस्तित्व विलीन हो
तुम एक मशाल तब बन जाओ.

परख लो उस दरिया को
जिससे वीर रस बहता हो
चख लो उस लहू को जिसपे
शत्रु गुमान करता हो .

दमन महबूब का कहाँ
मोहब्बत से कहीं भर पता है,
उस गुलाब कि औकात सलामत
जो लहू रंग दिखलाता है.

आलम श्रृष्टि का तुम्ही से है
तुम्ही प्रलय का अधर
शौर्य कि एक लौ जला दो
झिलमिला दो ये संसार .

Saturday, April 10, 2010

ईश्वर मेरे

ईश्वर मेरे

सुनहरी धुप धुंधली लगे ,
आज चांदनी दिख जाने दो
हे ईश्वर मेरे इस चमक धमक में
मेरी सादगी दिख जाने दो .

जग में मै जो भी हूँ
वास्तव में मै तो नहीं ,
रब मेरे तेरी दुनिया में आके
जो बन चूका वो मै तो नहीं .

मेरे रूह की आवाज़ ,
मेरे लबों पे जाने दो
हे ईश्वर मेरे इस अनंत सागर में
सत्य कि मोती लाने दो .

किसे मोहब्बत करता हूँ मै
ये मै खुद भी समझ पाया
दिल में मेरे जो भी आया
इस जग के समक्ष रख पाया

निति,चाल,निर्णय,चातुर्य
इन बहकावों में खोने दो
हे ईश्वर मेरे जो कलंक है मुझपर
खुद से किया है उसे धोने दो.

हे ईश्वर मेरे जो सही लगे,
तुम मेरे साथ होने दो,
या तो मै जाग जाऊं अपना रूप बदलकर
या अपनी गोद में सोने दो .