<<< मेरी परिभाषा >>>
सवालों के भंवर में
सितारों के शहर में
थोड़ी थी हकीक़त मेरी और थोड़ी जिज्ञासा
किस पहलु का सरताज मै जाने क्या है मेरी परिभाषा.
अंको कि शब्दावली
या शब्दों कि अंकावाली
मस्तक पे अंकित कुछ पन्त
या है अंकित मेरी छवि.
मै कौन हूँ , क्या हूँ
महत्वता शायद है भी और न भी
दाँव में अस्तित्व मगर
महफूज़ दिल है और जान भी.
स्पष्ट से शीशों में
या बहरूपियों के भेषों में
कहाँ मिलूँ मै खुद से खुद में
प्रेम कलश या कृत क्लेशों में
जाने कहाँ मिल जाए मुझको
मेरे रूह कि भाषा
हर जर्रे से पूछ रहा हूँ
आज मै अपनी परिभाषा .
या बहरूपियों के भेषों में
कहाँ मिलूँ मै खुद से खुद में
प्रेम कलश या कृत क्लेशों में
जाने कहाँ मिल जाए मुझको
मेरे रूह कि भाषा
हर जर्रे से पूछ रहा हूँ
आज मै अपनी परिभाषा .